IAS Success Story 2024: झुग्गी झोपड़ियों में पढ़ाने वाली इस महिला ने किया टॉप, बनी IAS अफसर
IAS Success Story 2024: झुग्गी झोपड़ियों में पढ़ाने वाली इस महिला ने किया टॉप, बनी IAS अफसर
IAS officer Simi Karan’s Success Story : आईएएस की कुर्सी हासिल करना हर किसी के बस की बात नही होती, आज हम आपको एक ऐसी महिलार अफसर के बारे में बताने जा रहे है जिसने झुग्गी झोपड़ियों में पढ़ाते हुए UPSC की परिक्षा को पास कर IAS की कुर्सी हासिल की, आइए खबर में जानते है इस महिला अफसर के बारे में विस्तार से।
IAS Success Story 2024 : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। जिसे क्वालीफाई करने में अच्छे- अच्छे पढ़ाकू और रट्टामार सूरमा फुस्स हो जाते हैं। लेकिन आज हम एक ऐसी शख्सियत से आपको रू-ब-रू करा रहे हैं, जिसने मायानगरी मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में पढ़ाते हुए न केवल यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE 2019) पास की, बल्कि ऑल इंडिया 31वीं रैंक पाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अधिकारी भी बनीं।
उसकी मेहनत का सफर यहीं नहीं थमा, वह प्रशिक्षण अवधि के दौरान भी वह सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु अधिकारी का खिताब अपने नाम करने में कामयाब रही। अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का केंद्रीय सचिवालय को कॉरीडोर उनकी प्रतिभा का साक्षी बनने को आतुर है।
बच्चों की हालत देखी तो सिविल सेवा को लक्ष्य बनाया
हम बात कर रहें हैं यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2019 की टॉपर और 2020 के बैच की आईएएस अधिकारी सिमी करण। ओडिशा की सिमी करण आईआईटी बॉम्बे की पूर्व छात्रा रही है। अपनी बीटेक की पढ़ाई के दौरान उन्हें मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का अवसर मिला था। जब उसने इन बच्चों की हालत देखी तो उसे बहुत बुरा लगा और उसने सोचा कि उसे इन बच्चों की मदद करनी चाहिए। इसके बाद से ही सिमी करण ने सिविल सेवा में जाने का फैसला कर लिया था।
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इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने गई थी लेकिन बदल गया इरादा
सिमी करण ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भिलाई, छत्तीसगढ़ में की है। उनके पिता भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे, जबकि उनकी मां एक शिक्षिका थीं। सिमी बचपन से ही होनहार छात्रा थी। उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद इंजीनियरिंग में जाने का फैसला किया। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। लेकिन इंजीनियर बनने का उनका सपना तब बदल गया, जब उन्हें वहां झुग्गी बस्तियों में बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया।
टॉपर्स के इंटरव्यू देख-देख कर लिए टिप्स
यूपीएससी की तैयारी के लिए सिमी ने यूपीएससी के टॉपर्स का इंटरव्यू बड़ी एकाग्रता से देखा। फिर उसने इंटरनेट पर यूपीएससी के सिलेबस को अच्छी तरह से पढ़ा और उसी के अनुसार किताबें इकट्ठा करना शुरू किया। सीमित संख्या में किताबों के साथ सिम्मी ने अपनी तैयारी शुरू करने का फैसला किया। साथ ही उसने अपने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया ताकि वह ठीक से पढ़ाई कर सके। अंत में, 2019 में सिमी ने यूपीएससी में ऑल इंडिया 31वीं रैंक हासिल की और एक आईएएस अधिकारी बन गईं।
रोज का नया और छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित किए
सिमी ने हमेशा पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया और कहा कि मैंने कभी भी अध्ययन के घंटों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया, बल्कि पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रोज का नया और छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित किए। इसलिए, शेड्यूल के हिसाब से उतार-चढ़ाव आया लेकिन औसतन मैंने 8-10 घंटे पढ़ाई की।
बकौल सिमी, मैंने सीमित संसाधनों के साथ पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया। इसके साथ ही दिमाग को आराम देने के लिए स्टैंड-अप कॉमेडी देखना और जॉगिंग के लिए भी समय निकाला। सिमी कहती हैं कि लक्ष्य तय करने के बाद चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें। खुद अपने सबसे बड़े आलोचक बनें, अपने प्रयासों का मूल्यांकन करें और आवश्यकतानुसार अपने रणनीति में बदलाव करें। राइटिंग स्किल भी इम्प्रूव करें।
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LBSNAA ने एलवी रेड्डी पुरस्कार से किया सम्मानित
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) ने हाल ही में एक आधिकारिक ट्वीट के जरिये जानकारी दी कि इस साल सिमी करण, आईएएस ओटी 2020 नॉर्थ-ईस्ट कैडर (असम-मेघालय) को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारी प्रशिक्षु के तौर पर एलवी रेड्डी मेमोरियल अवॉर्ड और सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। वहीं, सिमी करण ने भी अपने हालिया ट्वीट में कहा कि जीवन भर के लिए सभी खूबसूरत यादों और दोस्तों के लिए धन्यवाद! एलवी रेड्डी मेमोरियल अवॉर्ड पाकर सम्मानित महसूस किया। उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि एक प्रशिक्षु अधिकारी से आईएएस अधिकारी 2020 बैच तक का खूबसूरत सफर! अगला चरण – सहायक सचिव, दिल्ली!
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