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Success Story 2: अयोध्या का वो बेटा जिसका 40 देशों में चलता है ‘कारोबार’, कभी बनना चाहता था पायलट

दिल्ली: कभी-कभी आपका दिल कुछ और चाहता है, लेकिन घरवालों के दवाब में या फिर पिताजी की इच्छा को देखते हुए करते कुछ और हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है अमेरिका में रहने वाले वेद कृष्ण के साथ। वेद कृष्ण अयोध्या में जन्मे, वहीं पले-बढ़े। देहरादून के वैलहम ब्वॉयज स्कूल से पढ़ाई की। फिर उच्च शिक्षा के लिए यूके के लंदन मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी (London Metropolitan University) चले गए।

लेकिन जब घर से बुलावा आया तो वापस अयोध्या लौट कर बाबूजी का कारोबार संभाल लिया। आज उसी पुश्तैनी कारोबार को उन्होंने इतनी ऊंचाई पर पहुंचा दिया कि उनका एक्सपोर्ट 40 से भी ज्यादा देशों में होता है। वह मैकडोनाल्ड जैसी एमएनसी को पैकिंग पेपर सप्लाई करते हैं। ग्वाटेमाला में एक फैक्ट्री लगाने वाले हैं। आज हम बात करते हैं पैका लिमिटेड (BSE:PAKKA) के वाइस प्रेसिडेंट वेद कृष्ण (Ved Krishna) के बारे में।

लंदन से लौट आए अयोध्या

वेद कृष्ण याद करते हैं 1990 का दशक, जब वह विदेश से भारत लौट आए थे। वजह थी बाबूजी का अनुरोध। दरअसल, उनके बाबूजी के.के. झुनझुनवाला ने साल 1981 के दौरान अयोध्या में एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई थी। यह फैक्ट्री थी कागज की। उनकी फैक्ट्री में सामान्य कागज नहीं बनते थे बल्कि बादामी रंग के कागज बनते थे।

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उसका उपयोग लिफाफा या ढोंगा बनाने में होता था। कंपनी का नाम था यश पेपर्स। शुरू में तो कारोबार ठीक चला लेकिन 90 के दशक में यह टर्बोलेंट फेज में आ गई। तभी वेद अयोध्या लौटे थे। उसे संभालने की कोशिश की, पर नहीं संभला। इसके बाद कंपनी को बेचने की भी कोशिश की लेकिन यह बिकी भी नहीं।

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नेचर से जुड़ा कुछ करना चाहते थे

जब उनकी कंपनी बिकी नहीं, तो उसी को चलाने की कोशिश होने लगी। इसी बीच 2005 में उनके पिताजी का निधन हो गया। फैक्ट्री में कभी कुछ ट्राई किया कभी कुछ ट्राई किया। प्रोडक्ट गलत चुना लिया, मशीन गलत चुन ली। इससे सफल नहीं हो पाते थे। वेद कृष्ण याद करते हैं कि उन्हें सदा से ही नेचर से जुड़ी चीजों में दिलचस्पी थी। क्लीनर अर्थ को लेकर वह सदैव प्रयासरत रहते थे। इसके बाद उन्होंने यश पेपर को फ्लेक्जिबल और सस्टेनेबल पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी में बदला। साल 2007-08 में फूड ग्रेड पेपर बनाना शुरू किया। इसके बाद कंपनी की एक नई पहचान बनी।

चक ब्रांड से हो गया कायाकल्प

वेद कृष्ण ने इसके बाद एक कंपोस्टेबल टेबलवेयर बनाने का काम शुरू किया। इसका ब्रांड चक (Chuk) लॉन्च किया। इसके तहत गन्ने की खोई से खाने के प्लेट और पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। यह प्रोडक्ट उपयोग के बाद कंपोस्ट बन जाता है जो धरती या पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नहीं है। कुछ साल बाद सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया। लोगों में सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में जागरूकता भी बढ़ी।

और फिर चक ब्रांड की तो निकल पड़ी। चक ब्रांड के छाने के पीछे एक वजह तो यह भी है कि टेबलवेयर को यदि गाय भी खा ले तो उसके लिए यह कोई हानिकारक नहीं है, क्योंकि यह गन्ने की खोई का बना है। इसी के साथ पैकेजिंग प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी शुरू किया।

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कारोबार बदला तो मिली सफलता

कारोबार बदला तो वेद कृष्ण की कंपनी को शानदार सफलता हासिल हुई। वह बताते हैं कि दुनिया भर से अच्छी मशीनों की एक्विजिशन शुरू की। इंडस्ट्री में उपलब्ध बेस्ट टेलेंट को किसी भी कीमत पर हायर किया। और नए सिरे से काम शुरू किया। जब नया काम शुरू हुआ तो सफलता भी मिली। उसे मैकडोनाल्ड जैसी एमएनसी से पैकेजिंग मैटेरियल के आर्डर मिले। विदेशों में निर्यात होने लगा। इाज की तारीख में कंपनी का एक्सपोर्ट 40 से भी ज्यादा देशों में हो रहा है। यही नहीं कंपनी ने हाल ही में ग्वाटेमाला में फैक्ट्री लगाने की शुरुआत की है। कंपनी ने वहां जमीन भी खरीद ली है। इस कारोबार को और आगे बढ़ाने की तैयारी है।

यश पेपर्स बन गया पैका लिमिटेड

इस बीच कंपनी में काफी कुछ बदला। वेद कृष्ण ने कंपनी के रेगुलर काम को अलविदा कह दिया। वह कंपनी के सीईओ के पद से हट गए। वहां एक प्रोफेशनल को बिठाया। वह बाहर से रणनीति बनाते और कंपनी को कोई प्रोफेशनल चलाने लगा। साल 2019 में यश पेपर्स का नाम बदल कर यश पैका लिमिटेड कर दिया गया।

इसके बाद एक बाद फिर नाम बदला और अब इस कंपनी का नाम पैका लिमिटेड (Pakka Limited) है। कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है। सोमवार, 29 जनवरी 2024 को इस कंपनी का 10 रुपये का एक शेयर 357.75 रुपये पर बंद हुआ है। इसी के साथ कंपनी का मार्केट कैप भी 1401.63 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

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निवेशकों को दिया शानदार रिटर्न

पैका लिमिटेड के शेयर साल 2014 में 17 जनवरी को 5 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे। वहीं इस साल यानी 2024 में 29 जनवरी को शेयर 357 रुपये के लेवल पर पहुंच गए हैं। कंपनी के शेयरों ने इस दौरान करीब 7100 फीसदी का उछाल हासिल किया है। बीते 4 साल से कम समय में यह शेयर 1700 फीसदी से ज्यादा उछला है। कंपनी के शेयर साल 2020 में 3 अप्रैल को 20 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे। वहीं पिछले एक साल की बात करें तो पैका लिमिटेड ने निवेशकों को करीब 300 फीसदी का छप्परफाड़ रिटर्न दिया है।

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