आश्विन शरद् नवरात्र 15 अक्तूबर रविवार से प्रारंभ होंगे और इस बार हाथी पर सवार होकर आएगी मां दुर्गा
वाराणसी। श्रीदुर्गाष्टमी 22 अक्टूबर रविवार और महानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को है, जबकि 24 अक्टूबर मंगलवार को दशहरा मनाया जाएगा। घटस्थापना/कलश स्थापना, ज्योति प्रज्वलन करें तथा देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए 15 अक्तूबर रविवार सुबह 10 बजकर 25 मिनट के बाद पूरा दिन शुभ है।
इस वर्ष सन् 2023 ई. आश्विन शरद् नवरात्र 15 अक्तूबर रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं। आश्विन शरद् नवरात्र के विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया 15 अक्तूबर रविवार घटस्थापना/कलश स्थापना, ज्योति प्रज्वलन करें तथा देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए सुबह 10 बजकर 25 मिनट के बाद पूरा दिन शुभ है। इस बार शरद् नवरात्र आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा का आरम्भ रविवार को चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग, किस्तुघ्न करण तथा तुला राशि के गोचर काल के समय में हो रहा है। श्रीदुर्गाष्टमी 22 अक्टूबर रविवार और महानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को है, जबकि 24 अक्टूबर मंगलवार को विजयदशमी (दशहरा) मनाया जाएगा।
आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी तिथि तक यह व्रत किये जाते हैं। इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है।
नवरात्र में किस दिनांक को क्या तिथि है :
रविवार 15 अक्टूबर 2023 – मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
सोमवार 16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
मंगलवार 17 अक्टूबर 2023 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
बुधवार 18 अक्टूबर 2023 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
गुरूवार 19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
शुक्रवार 20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
शनिवार 21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
रविवार 22 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
सोमवार 23 अक्टूबर 2023 – महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
मंगलवार 24 अक्टूबर 2023 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
इन दिनों भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए।
देवीभागवत् में बताया गया है कि…
‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।।’
अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
इस वर्ष 15 रविवार शरद् नवरात्र का आरंभ रविवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार दुर्गा का वाहन हाथी होगा। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वो अपने साथ ढ़ेरों सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। साथ ही यह इस बात का भी संकेत होता है कि इस बार वर्षा अच्छी होगी, जिससे फसलों की पैदावार अच्छी होगी चारों ओर हरियाली का वातावरण रहेगा।
तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये नवरात्रों का समय अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करते है। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इन दिनों में दान पुन्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। प्याज, लहसुन, अंडे और मांस-मदिरा आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। नाखून, बाल आदि नहीं काटने चाहिए, भूमि पर शयन करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए। चमड़े की चप्पल, जूता, बेल्ट, पर्स, जैकेट आदि नहीं पहनना चाहिए और कोई भी पाप कर्म करने से आप और आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है। नवरात्रों के दौरान सेहत के अनुसार ही व्रत रखें इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें रोजाना सुबह और शाम को माँ दुर्गा का पाठ अवश्य करें।
चैत्र या वसंत नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आता है। दूसरा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में। कम लोगों को इसके बारे में जानकारी होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं।
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848