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जानिए कैसे VP Singh के एक फैसले ने उन्हें बना दिया OBC का मसीहा और सवर्णों का दुश्मन

देश के देश के आठवें प्रधानमंत्री रहें विश्वनाथ प्रताप सिंह की आज पुण्यतिथि है। कैंसर की बीमारी के चलते 27 नवंबर 2008 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। वह दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह 1984 में केंद्र में वित्त मंत्री रहे थे. वहीं 1980 से 1982 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था।
हालांकि प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करना वीपी सिंह के करियर का ऐतिहासिक फैसला रहा। उनके इस फैसले ने एकतरफ जहां उन्हें ओबीसी समाज का मसीहा बना दिया। वहीं, उनके इसी फैसले ने उन्हें उन्हीं के अगड़े समाज का दुश्मन बना दिया।

मंडल आयोग की सिफारिशों को किया लागू

देश की राजनीति के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले वीपी सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान अपनी सरकार को बचाने के लिए मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कियाा। इसे समाज के एक वर्ग ने साहसिक फैसला बताया तो दूसरा इसके सख्त खिलाफ था। उन्होंने इसे समाज के लिए विभाजनकारी बताया।

उनके इस फैसले के बाद कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के सवर्ण नेता उनसे बुरी तरह से नाराज हो गए। देशभर में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के विरोध में आंदोलन हुए।
फैसले के बाद बदल गई ओबीसी राजनीति

उस समय के वरिष्ठ पत्रकार बताते है कि वी पी सिंह के इस फैसले के बाद सरकारी नौकरी में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की राह खुल गई थी। इस फैसले से वे ओबीसी में हीरो बन गए थे। हालांकि, वीपी सिंह कभी भी ओबीसी वर्ग के नेता नहीं बन पाए। हालांकि, उनके विरोधियों का कहना था कि उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए मंडल समिति की सिफारिशों को लागू किया था।

आडवाणी के गिरफ्तार होने के बाद बीजेपी ने समर्थन लिया वापस

वीपी सिंह सरकार दो वैसाखियों पर चल रही थी। इसी बीच अक्टूबर 1990 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी और उनको गिरफ्तार कर दिया। इसके बाद बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद नवंबर 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिर गई।

महज 11 महीने रहे पीएम

वी.पी. सिंह (25 जून 1931 – 27 नवंबर 2008) का भारतीय राजनीति में एक लंबा, शानदार करियर रहा। इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी के पीएम बनने के बीच 1989 में वीपी सिंह देश के आठवे पीएम चुने गए। वीपी सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के उपाध्यक्ष के रूप में हुई। वी.पी. सिंह ने कई भूमिकाएं निभाईं। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, राज्यसभा सांसद, तीन निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा सांसद रहे।

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